सुनहरे हिरण का छल | SITA HARAN KI KAHANI

सुनहरे हिरण का छल | SITA HARAN KI KAHANI

प्राचीन समय की बात है, जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान जंगल में रह रहे थे। तीनों एक साथ पंचवटी नामक जगह पर रहते थे। वह स्थान बहुत ही शांत और सुंदर था, और वहीं पर वह दिन बिताते थे। एक दिन माता सीता ने जंगल में एक अद्भुत चीज देखी। वह चीज थी एक सुनहरा हिरण, जो बहुत ही सुंदर और चमकदार था। उसकी चमक से पूरा जंगल जगमगाने लगा था।

सीता ने उस सुनहरे हिरण को देखा और उसकी सुंदरता पर मंत्रमुग्ध हो गईं। उन्होंने तुरंत श्रीराम से कहा, “राम, देखिए! वह हिरण कितना सुंदर है। मैंने ऐसा हिरण कभी नहीं देखा। क्या आप उसे मेरे लिए पकड़ सकते हैं? मुझे वह हिरण बहुत पसंद आया है।” SITA HARAN KI KAHANI

श्रीराम ने उस हिरण की ओर देखा और उन्हें भी वह हिरण बहुत आकर्षक लगा। लेकिन राम को थोड़ा संदेह हुआ। वह सोचने लगे कि क्या सच में ऐसा कोई हिरण हो सकता है? हिरण की यह अनोखी चमक कुछ अलग ही थी। राम समझ गए कि यह कोई साधारण हिरण नहीं है, बल्कि इसके पीछे कोई चाल हो सकती है। लेकिन सीता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने उस हिरण को पकड़ने का निश्चय किया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा, “लक्ष्मण, तुम सीता के पास रहो और मैं इस हिरण को पकड़कर लाता हूँ।”

लक्ष्मण ने कहा, “भैया, मुझे भी लगता है कि यह कोई साधारण हिरण नहीं है, इसके पीछे कुछ गड़बड़ है। हमें सतर्क रहना चाहिए।” लेकिन श्रीराम सीता को खुश करने के लिए हिरण का पीछा करने निकल पड़े।

वास्तव में, वह सुनहरा हिरण एक चाल थी। वह कोई असली हिरण नहीं था, बल्कि राक्षस मारीच था, जो रावण के साथ मिलकर माता सीता को हानि पहुँचाने की योजना बना रहा था। मारीच ने खुद को सुनहरे हिरण का रूप दिया था ताकि वह श्रीराम को दूर ले जा सके और रावण अपनी योजना को पूरा कर सके। SITA HARAN KI KAHANI

श्रीराम उस हिरण का पीछा करते-करते बहुत दूर चले गए। मारीच जानबूझकर श्रीराम को जंगल में और भी गहरे ले जा रहा था। जब श्रीराम ने हिरण को तीर से मारा, तब मारीच ने अचानक श्रीराम की आवाज में चीख मारी, “सीता! लक्ष्मण! मदद करो!” यह मारीच की एक और चाल थी ताकि लक्ष्मण भी सीता को छोड़कर श्रीराम की मदद के लिए चले जाएं।

सीता ने जब यह आवाज सुनी, तो वह बहुत घबरा गईं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा, “लक्ष्मण! तुम सुन रहे हो? राम की आवाज है, उन्हें कुछ हो गया है। तुम तुरंत जाओ और उनकी मदद करो।” लक्ष्मण ने सीता से कहा, “माता, यह राम की आवाज नहीं है। मुझे विश्वास है कि राम को कुछ नहीं हुआ है। यह कोई चाल है।”

लेकिन सीता ने लक्ष्मण को जाने के लिए ज़िद की। आखिरकार, लक्ष्मण को सीता की बात माननी पड़ी। लेकिन जाने से पहले उन्होंने सीता की सुरक्षा के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींची। उन्होंने कहा, “माता, इस रेखा के अंदर रहना, कोई भी व्यक्ति इस रेखा को पार नहीं कर सकता। आप सुरक्षित रहेंगी।” SITA HARAN KI KAHANI

लक्ष्मण के जाते ही रावण ने अपनी चाल को अंजाम देने का समय देख लिया। वह एक साधु के रूप में सीता के पास आया और उनसे भिक्षा माँगने लगा। लेकिन वह लक्ष्मण रेखा के बाहर ही खड़ा रहा। सीता को कुछ समझ नहीं आया और वह उस साधु को भिक्षा देने के लिए रेखा के बाहर आ गईं। जैसे ही उन्होंने रेखा पार की, रावण ने अपना असली रूप दिखाया और उन्हें अपने रथ में बैठाकर लंका की ओर उड़ गया।

सीता को अहसास हुआ कि वह एक बड़े धोखे का शिकार हो गई हैं। उन्होंने मदद के लिए पुकारा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था जो उनकी मदद कर सके। रावण ने उन्हें लंका ले जाकर अपने महल में बंदी बना लिया।

इस तरह रावण की चाल कामयाब हुई और उसने सीता का हरण कर लिया। श्रीराम और लक्ष्मण जब वापस आए, तो उन्हें पता चला कि सीता को रावण ने छल से हरा लिया है। इससे राम और लक्ष्मण बहुत दुखी हुए, लेकिन उन्होंने सीता को वापस लाने का संकल्प किया। इसके बाद श्रीराम ने वानरराज हनुमान और उनकी सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई की और रावण का अंत करके माता सीता को वापस लेकर आए।

सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धोखे और चाल से हमेशा सावधान रहना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में धैर्य नहीं खोना चाहिए।

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