शबरी की भक्ति | SHABRI KI KAHANI

शबरी की भक्ति | SHABRI KI KAHANI

बहुत समय पहले, एक घने जंगल में शबरी नाम की एक साधारण और भक्ति-भाव से भरी स्त्री रहती थी। शबरी गरीब थी, लेकिन उसके दिल में भगवान राम के प्रति असीम प्रेम और भक्ति थी। वह दिन-रात भगवान राम का ध्यान करती और उनके आने की प्रतीक्षा करती थी। उसे यह विश्वास था कि भगवान राम एक दिन उसके घर जरूर आएंगे।

शबरी का घर जंगल के बीच में था, जहाँ वह अकेली रहती थी। वह भगवान राम की भक्ति में इतनी डूबी रहती थी कि उसने अपनी पूरी जिंदगी उनकी सेवा और प्रतीक्षा में समर्पित कर दी थी। शबरी का दिल इतना पवित्र था कि उसे समाज के नियमों और भेदभाव की कोई परवाह नहीं थी। वह बस अपने भगवान राम को खुश देखना चाहती थी।

शबरी हर दिन सुबह उठती, जंगल से फल चुनती और भगवान राम के आने का इंतजार करती। उसने अपने छोटे से घर को बहुत अच्छे से सजाया था ताकि जब भगवान राम आएं, तो वह उन्हें अच्छे से स्वागत कर सके। वह रोज भगवान से प्रार्थना करती और सोचती, “आज भगवान राम आएंगे।”

एक दिन, भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ उस जंगल में पहुंचे। शबरी को जैसे ही यह पता चला कि भगवान राम उसके घर की ओर आ रहे हैं, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह दौड़ती हुई भगवान राम के स्वागत के लिए गई। उसकी आँखों में आंसू थे, लेकिन वह खुशी के आंसू थे। उसने भगवान राम को प्रणाम किया और उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दिया।

भगवान राम ने शबरी की भक्ति को देखा और उनके मन में उसके प्रति बहुत स्नेह और सम्मान जाग उठा। वह तुरंत उसके घर गए। शबरी ने भगवान राम और लक्ष्मण के लिए अपने हाथों से कुछ जंगली बेरों का इंतजाम किया था। उसने सोचा कि वह भगवान राम को केवल मीठे और अच्छे बेर ही खिलाएगी।

इसलिए, शबरी ने एक-एक बेर को पहले खुद चखा और देखा कि वे मीठे हैं या नहीं। फिर उसने वे मीठे बेर भगवान राम को दिए। यह समाज के नियमों के खिलाफ था, क्योंकि किसी और को खिलाने से पहले खुद खाना अनुचित माना जाता था। लेकिन शबरी के मन में सिर्फ भगवान राम के प्रति सच्ची भक्ति थी, इसलिए उसने यह सब नियमों की परवाह किए बिना किया।

भगवान राम को शबरी की भक्ति और प्रेम ने बहुत प्रभावित किया। उन्होंने बिना किसी संकोच के शबरी द्वारा दिए गए बेरों को ग्रहण किया। वह जानते थे कि शबरी के दिल में उनके प्रति कितना सच्चा प्रेम और सम्मान है। भगवान राम ने महसूस किया कि उन बेरों में केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि शबरी का प्यार भी शामिल है। उन्होंने उन बेरों को बड़े प्रेम से खाया और शबरी की भक्ति की सराहना की।

शबरी की यह भक्ति और भगवान राम का प्रेम देखकर लक्ष्मण भी बहुत भावुक हो गए। भगवान राम ने शबरी को आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम्हारी भक्ति सच्ची है, और तुम्हारे प्रेम ने मेरे हृदय को छू लिया है। तुमने जो बेर दिए हैं, वे मेरे लिए संसार के सबसे स्वादिष्ट फल हैं।” शबरी का दिल भगवान राम की बातों से भर गया और उसकी आंखों में फिर से आंसू आ गए, लेकिन इस बार खुशी और संतोष के आंसू थे। 

भगवान राम ने शबरी को बताया कि वह अपनी भक्ति और प्रेम के कारण हमेशा अमर रहेंगी और उनकी कहानी हमेशा सुनाई जाएगी। शबरी की भक्ति ने यह साबित कर दिया कि भगवान को प्रेम और सच्ची निष्ठा से जीता जा सकता है, और वे अपने भक्तों के प्रेम का आदर करते हैं।

शबरी की भक्ति की कहानी हमें सिखाती है कि भगवान को पाने के लिए धन, शक्ति या सामाजिक प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं होती। भगवान के लिए सच्ची भक्ति और प्रेम ही सबसे महत्वपूर्ण है। शबरी का जीवन इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि भगवान उनके पास आते हैं, जो दिल से उन्हें पुकारते हैं। उनकी भक्ति, प्रेम और भगवान राम के प्रति निस्वार्थ समर्पण की यह कहानी आज भी लोगों को प्रेरित करती है। 

सीख: शबरी की भक्ति हमें सिखाती है कि भगवान के प्रति सच्ची निष्ठा और प्रेम से ही उन्हें पाया जा सकता है।

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