जादुई दीया | MAGICAL DIYA | DIWALI KAHANIYA

जादुई दीया | HINDI KAHANIYA

एक छोटे से गाँव में माया नाम की एक प्यारी सी लड़की रहती थी। माया को दिवाली का त्योहार बहुत पसंद था। हर साल, वह अपने माता-पिता के साथ मिलकर घर की सफाई करती, रंगोली बनाती और दीयों से घर को सजाती थी। उसके लिए दिवाली का सबसे खास हिस्सा था दीयों को जलाना, क्योंकि इन दीयों से पूरा घर रोशन हो जाता था और सब जगह खुशियाँ फैल जाती थीं।

इस बार दिवाली के त्योहार से कुछ दिन पहले, माया ने अपनी माँ से पूछा, “माँ, क्या हम इस बार भी ढेर सारे दीये जलाएंगे?” उसकी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां बेटा, हम इस बार भी पूरे घर को दीयों से सजाएंगे।”

दिवाली की शाम आ गई। माया बहुत उत्साहित थी। उसने घर को बहुत ही सुंदर रंगोली से सजाया और अपने पिता के साथ दीये जलाने लगी। जब वह सारे दीये जला रही थी, तभी अचानक उसे याद आया कि उसने अपने घर के पुराने अटारी में कुछ दीये देखे थे। माया तेजी से ऊपर की ओर भागी और अटारी में पहुँचकर उसने पुराने दीयों का ढेर देखा। उन सबके बीच एक पुराना, धूल भरा दीया था। उसने सोचा, “क्यों न इस दीये को भी साफ करके जलाया जाए?” उसने दीये को साफ किया और उसमें तेल डालकर उसे जलाने के लिए नीचे लाई।

जादुई दीया | MAGICAL DIYA | DIWALI KAHANIYA
DIWALI KAHANIYA

जैसे ही उसने उस दीये को जलाया, कुछ अजीब हुआ। दीया अचानक बहुत तेज़ चमकने लगा और उससे एक हल्की आवाज़ आई, “धन्यवाद, माया! मैं एक जादुई दीया हूँ और तुम्हारी एक इच्छा पूरी कर सकता हूँ।”

माया यह सुनकर चौंक गई। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने पूछा, “क्या आप सचमुच मेरी एक इच्छा पूरी करेंगे?”

दीये ने हँसते हुए कहा, “हाँ, लेकिन ध्यान रहे, तुम्हारी एक ही इच्छा पूरी होगी। इसलिए सोच-समझकर मांगना।”

माया सोच में पड़ गई। उसने सोचा, “क्या मांगू? एक खिलौना? ढेर सारी मिठाई? या फिर कुछ और?” लेकिन फिर उसे अपने गाँव के बच्चे याद आए, जिनके पास बहुत कम साधन थे और दिवाली के समय भी उनके घरों में उजाला नहीं होता था।

उसने दीये से कहा, “मैं चाहती हूँ कि इस दिवाली मेरे गाँव के सभी घरों में रोशनी हो और हर किसी के चेहरे पर मुस्कान हो।”

दीये ने मुस्कुराते हुए कहा, “बहुत ही सुंदर और नेक इच्छा है, माया। तुम्हारी यह इच्छा पूरी होगी।”

जादुई दीया | MAGICAL DIYA | DIWALI KAHANIYA
DIWALI KAHANIYA

अचानक, माया ने देखा कि उसके गाँव के सारे घरों में दीये खुद-ब-खुद जल उठे। हर घर में रोशनी फैल गई, और सभी लोग खुशी से झूम उठे। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान थी, और सब लोग माया का धन्यवाद कर रहे थे। माया का दिल खुशी से भर गया। उसने महसूस किया कि असली खुशी दूसरों की मदद करने में है। उस दिन माया ने जाना कि दिवाली का असली मतलब सिर्फ अपने घर को रोशन करना नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी उजाला लाना है। वह जादुई दीया धीरे-धीरे बुझ गया, लेकिन माया के दिल में जो खुशियाँ और प्यार था, वह हमेशा के लिए जलता रहा।

उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, इस साल की दिवाली सबसे खास थी, क्योंकि मैंने सच्चे दिल से एक अच्छी चीज़ मांगी।”

उसकी माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा, “बिलकुल माया, असली खुशी हमेशा दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में होती है।”

उस दिन माया ने सीखा कि हम सभी के पास अपनी छोटी-छोटी खुशियों को दूसरों के साथ बाँटने का जादू है। बस हमें इसे पहचानना और उपयोग करना होता है। इस तरह, माया की एक नेक इच्छा ने पूरे गाँव की दिवाली को जादुई बना दिया। और वह जादुई दीया माया को हमेशा याद दिलाता रहा कि सच्ची खुशी दूसरों की भलाई में ही होती है।