विंग्स ऑफ़ फ़ायर | APJ ABDUL KALAM STORY

विंग्स ऑफ़ फ़ायर | APJ ABDUL KALAM STORY

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन बच्चों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। उनका जन्म एक छोटे से गाँव में हुआ था और उनके पास शुरू में ज्यादा साधन नहीं थे। लेकिन उनकी मेहनत, लगन और सपनों ने उन्हें न केवल भारत का एक प्रमुख वैज्ञानिक बनाया बल्कि उन्हें देश का राष्ट्रपति भी बनाया। आइए जानते हैं उनकी कहानी।

बचपन और संघर्ष

अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम नाम के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता नाव चलाते थे और उनकी माँ घर का ख्याल रखती थीं। परिवार बहुत बड़ा था और घर के हालात अच्छे नहीं थे। लेकिन फिर भी, उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा शिक्षा का महत्व सिखाया।

अब्दुल कलाम बचपन से ही बहुत मेहनती थे। वह स्कूल जाते और फिर अपने पिता की नाव में भी मदद करते थे। वह एक पेपर बॉय भी बने ताकि वह अपनी पढ़ाई का खर्चा निकाल सकें। वह रोज सुबह उठकर अखबार बाँटते और फिर स्कूल जाते। उनके शिक्षक उन्हें बहुत पसंद करते थे, क्योंकि वह हमेशा अच्छे नंबर लाते थे और खूब सवाल पूछते थे।

विज्ञान में रुचि और आगे की पढ़ाई

कलाम को बचपन से ही विज्ञान और आकाश में उड़ते हुए पंछियों में बड़ी दिलचस्पी थी। वह सोचते थे कि कैसे इंसान भी एक दिन पंछियों की तरह उड़ सकता है। इस उत्सुकता ने उन्हें एक बड़े वैज्ञानिक बनने की राह पर चला दिया।

स्कूल के बाद, उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में पढ़ाई की और फिर उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया। यहां उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई में बहुत मेहनत की और कभी हार नहीं मानी।

इसरो में काम और मिसाइल मैन की पहचान

पढ़ाई के बाद, अब्दुल कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में काम करना शुरू किया। वहां उन्होंने भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-3) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे भारत ने अपना पहला उपग्रह, रोहिणी, अंतरिक्ष में भेजा।

अब्दुल कलाम ने अपनी मेहनत से भारत को न केवल अंतरिक्ष में पहचान दिलाई, बल्कि वह ‘मिसाइल मैन’ भी बन गए। उन्होंने भारत के मिसाइल कार्यक्रम में भी योगदान दिया और कई मिसाइलें विकसित कीं, जिनसे देश की सुरक्षा मजबूत हुई। उनके इस काम के कारण देश को उन पर गर्व था।

राष्ट्रपति पद और बच्चों से विशेष लगाव

अब्दुल कलाम को 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया। वह बहुत सरल और अच्छे स्वभाव के व्यक्ति थे, इसलिए लोग उन्हें प्यार से ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहते थे। वह हमेशा बच्चों के साथ समय बिताना पसंद करते थे। उनके अनुसार, बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं और उन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद भी बच्चों को हमेशा प्रेरित किया और उन्हें उनके सपने पूरे करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका मानना था कि मेहनत, ईमानदारी और लगन से हर कोई अपने सपने पूरे कर सकता है।

अंत तक सीखने और सिखाने का जज्बा

अब्दुल कलाम का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक था। वह हमेशा लोगों को सपने देखने और उन्हें साकार करने की सलाह देते थे। उनका मानना था कि किसी भी काम को करने के लिए सबसे जरूरी चीज़ होती है लगन और मेहनत। उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि कैसे एक छोटे से गाँव का लड़का भी बड़े-बड़े सपने देख सकता है और उन्हें पूरा कर सकता है।

2015 में, जब वह बच्चों को भाषण दे रहे थे, तब उनका देहांत हो गया। वह हमेशा अपने आखिरी वक्त तक बच्चों और युवाओं को प्रेरित करते रहे। आज भी, उनकी कहानियाँ और उनके विचार बच्चों और बड़ों को समान रूप से प्रेरित करते हैं।

अब्दुल कलाम का जीवन हमें सिखाता है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने सपनों के लिए मेहनत करनी चाहिए। अगर हम दिल से मेहनत करें और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें, तो हमें सफलता जरूर मिलेगी।

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