हनुमान जी की लंका यात्रा | HANUMAN JI LANKA STORY
प्राचीन समय में भगवान राम की पत्नी, माता सीता, को रावण नामक एक राक्षस ने छल से लंका में बंदी बना लिया था। भगवान राम अपनी पत्नी को खोज रहे थे, लेकिन लंका का स्थान किसी को ज्ञात नहीं था। भगवान राम के साथ उनकी मदद के लिए वानरों की एक सेना भी थी। इन वानरों में से एक वानर का नाम था हनुमान। हनुमान भगवान राम के प्रति अत्यधिक भक्त थे और उनकी हर आज्ञा को मानते थे।
जब यह तय हुआ कि माता सीता लंका में हैं, तो यह समस्या खड़ी हो गई कि समुद्र के उस पार लंका कैसे पहुँचा जाए। समुद्र बहुत विशाल था, और वहाँ तक पहुँचने का कोई साधन नहीं था। किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि कोई इस समुद्र को पार कर सके। तब हनुमान ने अपने भीतर की शक्ति को पहचाना और रामजी के प्रति अपने अटूट समर्पण को याद किया। उन्होंने सोचा कि अगर भगवान राम की सेवा करनी है, तो कोई भी काम असंभव नहीं हो सकता।
हनुमान जी ने एक बड़ा निश्चय किया। उन्होंने समुद्र को पार कर लंका जाने का संकल्प लिया। समुद्र बहुत बड़ा था, और लंका की दूरी भी काफी अधिक थी। परंतु हनुमान जी को भगवान राम पर विश्वास था और उनके प्रति असीम भक्ति थी। उन्होंने भगवान राम का ध्यान किया और समुद्र के किनारे से छलांग लगाई। हनुमान जी की यह छलांग असाधारण थी। वे एक ही छलांग में विशाल समुद्र के ऊपर उड़ते हुए लंका की ओर बढ़ने लगे। यह दृश्य अद्भुत था। समुद्र में रहने वाले जीव हनुमान जी की इस अद्वितीय शक्ति को देखकर चकित रह गए। HANUMAN JI LANKA STORY
हनुमान जी को इस यात्रा में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। समुद्र में एक राक्षसी थी, जिसका नाम सुरसा था। वह हनुमान जी को रोकने के लिए आई। उसने हनुमान जी को निगलने की कोशिश की, लेकिन हनुमान जी ने अपनी चतुराई से उसे मात दी। उन्होंने अपना आकार छोटा कर लिया और सुरसा के मुँह से निकलकर आगे बढ़ गए। इसके बाद हनुमान जी ने और भी कई चुनौतियों का सामना किया, परंतु उनका साहस अडिग रहा।
आखिरकार, हनुमान जी लंका पहुँच गए। लंका एक बहुत ही सुंदर और समृद्ध राज्य था, परंतु वहाँ राक्षसों का शासन था। हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया और माता सीता को ढूंढने के लिए वहाँ के महल और बागों में घूमने लगे। कुछ देर बाद, हनुमान जी अशोक वाटिका नामक बगीचे में पहुँचे। वहाँ उन्होंने माता सीता को देखा, जो बहुत उदास थीं और भगवान राम के बारे में सोच रही थीं। वे रावण के बुरे इरादों से डर रही थीं, लेकिन भगवान राम पर उनका विश्वास अटल था। HANUMAN JI LANKA STORY
हनुमान जी ने माता सीता के पास जाकर उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने माता सीता को बताया कि वे भगवान राम के दूत हैं और रामजी उन्हें जल्द ही बचाने के लिए आएँगे। हनुमान जी की बातें सुनकर माता सीता को बहुत सुकून मिला। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भगवान राम जल्द ही उन्हें रावण से छुड़ाने के लिए आ रहे हैं।
इसके बाद, हनुमान जी ने माता सीता को भगवान राम की अंगूठी दी, जो भगवान राम ने उनके लिए भेजी थी। यह देखकर माता सीता को विश्वास हो गया कि हनुमान जी सचमुच रामजी के दूत हैं। हनुमान जी ने माता सीता से कहा कि वे रामजी को उनका संदेश देंगे और उन्हें जल्द ही यहाँ लाने की तैयारी करेंगे।
इसके बाद हनुमान जी ने लंका में और भी कई साहसिक कार्य किए। उन्होंने रावण के महल को जलाकर उसे एक चेतावनी दी कि भगवान राम की सेना जल्द ही लंका पर हमला करेगी। फिर हनुमान जी वापस समुद्र को पार करके भगवान राम के पास पहुँचे और माता सीता का संदेश उन्हें दिया। HANUMAN JI LANKA STORY
हनुमान जी की इस अद्भुत छलांग और साहसिक यात्रा ने यह साबित कर दिया कि भक्ति और समर्पण से कोई भी कार्य असंभव नहीं है। उनकी निडरता और भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति आज भी हमें प्रेरित करती है। हनुमान जी की इस यात्रा का रामायण में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह भगवान राम की सीता को बचाने की योजना का पहला कदम था।
इस प्रकार, हनुमान जी की लंका तक की यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर हमारा इरादा मजबूत हो और हम सच्चे मन से किसी की सेवा करना चाहें, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।
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