मूर्ख सियार और हाथी | Lion and Jackal Hindi Story

मूर्ख सियार और हाथी | Lion and Jackal Hindi Story

बहुत समय पहले एक घने जंगल में एक ताकतवर शेर रहता था जिसका नाम राजा था। वह जंगल का राजा था और बाकी जानवर उससे बहुत डरते थे। एक दिन राजा शेर ने एक बड़े भैंसे का शिकार किया और अपना पेट भरकर अपनी गुफा की ओर लौट रहा था। रास्ते में उसे एक दुबला-पतला, भूखा सियार मिला जिसका नाम चालू था। चालू ने राजा शेर को दूर से ही देख लिया और तुरंत उसके पैरों में लेटकर प्रणाम करने लगा।

राजा शेर ने हैरानी से पूछा, “तुम कौन हो और ऐसा क्यों कर रहे हो?”

चालू ने विनम्रता से कहा, “महाराज, मैं बहुत गरीब और भूखा हूँ। आप तो जंगल के राजा हैं, मुझ जैसे छोटे प्राणी को पनाह दीजिए। मैं आपकी सेवा करूंगा और आपके छोड़े हुए शिकार से अपना पेट भर लूंगा। बस मुझे अपने साथ रहने दीजिए।”

राजा शेर ने उसकी बात पर थोड़ी सोच-विचार की और फिर हंसते हुए कहा, “ठीक है, तुम मेरे साथ रह सकते हो।” और इस तरह चालू सियार को राजा शेर की शरण मिल गई।

Lion and Jackal Hindi Story
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दिन बीतते गए। हर रोज जब राजा शेर शिकार करके आता, चालू सियार उस शिकार के बचे हुए मांस को खाकर खूब मोटा और तंदुरुस्त हो गया। राजा शेर का बल और साहस देखकर चालू सियार के मन में धीरे-धीरे घमंड आने लगा। अब वह खुद को शेर की तरह ताकतवर और बहादुर समझने लगा। एक दिन उसने राजा शेर से कहा, “राजा जी, अब मैं भी तुम्हारी तरह बड़ा और शक्तिशाली हो गया हूँ। मैं आज एक हाथी का शिकार करूंगा और उसका मांस खाऊंगा। जो बच जाएगा, वो तुम्हारे लिए छोड़ दूंगा।”

राजा शेर ने सियार की बातें सुनी और हंसते हुए कहा, “चालू, तुम छोटे हो, ऐसा मत करो। हाथी का शिकार करना बहुत मुश्किल है। यह तुम्हारे बस की बात नहीं है।”

लेकिन चालू सियार को अब शेर की सलाह अच्छी नहीं लगी। उसे लगा कि वह खुद भी बहुत ताकतवर हो गया है और वह किसी का कहना नहीं मानेगा। वह खुद को राजा शेर के बराबर समझने लगा। चालू सियार ने सोचा कि वह शेर से भी बड़ा साबित होगा।

Lion and Jackal Hindi Story
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दूसरे ही दिन चालू सियार ने जंगल की एक ऊँची पहाड़ी पर चढ़कर देखा। पहाड़ी के नीचे कुछ हाथियों का झुंड आराम से चल रहा था। चालू ने जोर-जोर से सियारों की आवाजें लगाईं, जैसे कि वह शेर की तरह दहाड़ रहा हो। फिर उसने एक बड़े हाथी पर छलांग लगा दी, लेकिन हाथी के सिर पर गिरने की बजाय वह सीधे हाथी के पैरों के पास जा गिरा। हाथी ने चालू सियार की तरफ देखा भी नहीं और अपनी भारी-भरकम चाल में चलता रहा। तभी उसका एक पैर चालू सियार के सिर पर पड़ा और पल भर में चालू सियार का सिर कुचलकर चकनाचूर हो गया। चालू सियार वहीं खत्म हो गया।

यह सब राजा शेर दूर से देख रहा था। उसने धीरे से सिर हिलाया और कहा, “जो मूर्ख और घमंडी होते हैं, उनकी यही दुर्दशा होती है।”

सीख:

कभी भी खुद को दूसरों से बड़ा समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। घमंड और मूर्खता हमेशा एक साथ चलते हैं और इनका अंत बुरा ही होता है। हमेशा दूसरों की सलाह सुननी चाहिए और अपनी सीमाओं को समझना चाहिए।

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